समस्त महाजन  अयोध्या में जीव- दया केंद्र स्थापित करेगा 

 



अयोध्या की पवित्र भूमि  अब  भारत की एक नई इतिहास बन गई : गिरीश जयंतीलाल शाह

मुंबई (महाराष्ट्र) 

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए ऐतिहासिक भूमि पूजन सम्पन्न होते ही  सिर्फ  भारत नहीं समूचे विश्व में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। समूची दुनिया में यह माना जाता है कि रामायण की कथा में  वर्णित  भगवान  श्रीराम और सीता  की भूमिका  दुनिया को एक ऐसे आदर्शमय  जीवन की सीख देता है  जहां  सियाराम की  भूमिका  एक ऐसे आदर्श  पुरुष के रूप में है जिसके जीवन में  राजधर्म से बड़ा कुछ नहीं  है।  समस्त महाजन के  मैनेजिंग ट्रस्टी  गिरीश  जयंतीलाल  शाह  ने बताया कि अयोध्या की पवित्र  सभी धर्मों के लिए एक इतिहास बन गई  जहां से लोग अब  सामाजिक समरसता एवं  सर्व धर्म की  सीख प्राप्त करेंगे। समस्त महाजन इस आयोजन के बाद यह निर्णय लिया है की  अयोध्या में  यात्री निवास एवं जीव  दया केंद्र  स्थापित करेगा।

उन्होंने बताया कि  अयोध्या व नगरी है जहां  जैन धर्म के प्रथम जिनेश्वर आदेश्वर दादा के ३ कल्याणक , द्वितीय जिनेश्वर अजितनाथ दादा के 4  कल्याणक ,चतुर्थ जिनेश्वर अभिनंदनस्वामी दादा के 4 कल्याणक ,पाँचवे जिनेश्वर सुमतिनाथ स्वामी के 4 कल्याणक,चौदावे जिनेश्वर अनंतनाथ स्वामी के 4 कल्याणक अर्थात ऐसे कुल 19 कल्याणक इस भूमि पर पैदा हुए  और राजा ऋषभ ने हसी मसी- कृषि की संस्कृति का ज्ञान यहीं से विश्व को दिया। साथ ही पुरुषोंकी 72 कला , स्त्री की 64 कला , 100 शिल्प , गणित ,लिपि  का उद्भव हुआ। इस सब का ज्ञान राजा ऋषभ ने इसी अयोध्या नगरी से विश्व कल्याण की भावना के साथ प्रकाशित किया  था। ऋषभदेव के सुपुत्र भरत चक्रवर्ती ने पूरे विश्व के विजेता बनकर अयोध्या में राजधानी बसायी  और सत्यवादी राजा हरीश चंद की यह जन्मभूमि है।  राजा * राम * ने रामराज्य की स्थापना यही की।  सरयू नदी में समाधि लेते वक्त हनुमानजी  को अयोध्या सोंप के गए।

आज राम मंदिर निर्माण के पावन अवसर पर विश्व के सभी सज्जनो को शुभ कामना।  जैन समाज के लिए इस भूमि का ऐतिहासिक महत्व है। अयोध्या में 10 से 20 एकर भूमि ख़रीदकर तमाम यात्री के लिए व्यवस्था का आयोजन,सभी के लिए स्वास्थ्य भोजनशाला, अबोल जीवों के लिए पांजरापोल स्थापित करेगा।  साथ ही साथ अयोध्या के  बंदरों के लिए हनुमान वाटिका बनाएगा।  शाह ने बताया कि इस तरह के क्रियाकलाप अयोध्या ही नहीं  सभी धार्मिक स्थलों  पर  एक बहुत बड़ी आवश्यकता बन गई है।  इसलिए  समस्त महाजन  की आकांक्षा है कि इकाइयों की स्थापना कर जीव - जंतुओं की सेवा करेगा। 


समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी
 शाह ने यह भी बताया कि  इस तरह की कार्य योजना पर पहले से विचार किया जा रहा था  और इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किया जा चुका था।  गत वर्ष  जुलाई महीने में  जीव जंतु कल्याण पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।  इस विषय पर आत्ममंथन की शुरुआत वाराणसी से से हुई थी जहां पर  एक प्रांतीय सम्मेलन सम्मेलन आयोजित हुआ और  उत्तर प्रदेश में जीव दया के कार्यों को प्रसारित करने के लिए विचार विमर्श किया गया था।


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