रांची (झारखंड)
झारखंड पशु चिकित्सा संघ का संघर्ष निरंतर जारी है। पूरे प्रदेश के अधिकारी पशु चिकित्सकों के हक दिलाने के लिए संघर्ष करने पर अब धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं क्योंकि राज्य सरकार की जानबूझकर पशु चिकित्सा सेवा नियमावली के खिलाफ लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। जबकि झारखंड पशु चिकित्सा संघ झारखंड सरकार द्वारा नियम के विरुद्ध में उठाए जा रहे कदम का लगातार विरोध कर रहा है।
झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अनुरोध पर झारखंड पशु चिकित्सा परिषद के रजिस्ट्रार द्वारा पशु शल्य चिकित्सक पलामू के पद पर गैर पशु चिकित्सक जिला मत्स्य पदाधिकारी पलामू द्वारा अनुसूचि 53 फार्म 202 202 में पशु शल्य चिकित्सा पदाधिकारी पलामू का स्वतः प्रभार ग्रहण किया गया है! जिसके विरोध में संघ द्वारा तीन दिवसीय काला बिल्ला पहन कर विरोध दर्ज किया गया है परंतु उनके द्वारा प्रभार नहीं छोड़ा गया और न ही सरकार स्तर से कोई कार्रवाई हुई!
यहां बताना आवश्यक है कि पशु शल्य चिकित्सा पदाधिकारी का पद तकनीकी पद है जिसके लिए बीवीएससी एंड एएच के अहर्ता के साथ भारतीय पशु चिकित्सा परिषद या झारखंड पशु चिकित्सा परिषद मे निबंधित होना आवश्यक है! यहां पर भारतीय पशु चिकित्सा परिषद अधिनियम 1984 के अध्याय 4 के नियम 30 का उल्लंघन है जिसके तहत नियमाकूल कार्रवाई की जा सकती है। झारखंड सरकार द्वारा इस तरह के अवैधानिक आदेश जारी करना और पदभार सपना कोई नई बात नहीं है। झारखंड पोस्ट किसान संघ ने बताया कि पूर्व मे भी उपायुक्त रांची द्वारा जिला कृषि पदाधिकारी को जिला पशुपालन पदाधिकारी रांची का प्रभार दिया गया था परन्तु विरोध के बाद आदेश वापस ले लिया गया था।
संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर शिवानंद काशी ने बताया कि सरकार के इस कदम से पशुचिकितसको का अस्तित्व ही खतरे में है और अराजकता का माहौल बनता जाएगा। झारखंड पशु चिकित्सा परिषद द्वारा वीरेंद्र कुमार सिन्हा जिला मत्स्य पदाधिकारी पलामू से 3 दिनों के अंदर चिकित्सक के रूप में निबंधन प्रमाण पत्र की मांग की गई है। लेकिन अभी तक इस के संबंध में उनके तरफ से कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है। नियमानुसार सिन्हा द्वारा उपलब्ध नहीं कराने की दशा में भारतीय पशु चिकित्सा परिषद आधीनियम के प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया गया है।