जीव -जंतु के सेवा कार्य कोई भारी भरकम खर्च भी नहीं होते . इसे परिवार द्वारा रोजाना गाय को रोटी देने और चिड़िया को दाना डालने के बराबर खर्च आता है जिसे बच्चों के सहयोग से उनके गुल्लक के पैसे और धर्मपत्नी के द्वारा हर महीने घर खर्च से बचाए धनराशि से आराम से किया जा सकता है . रामानुज का कहना है कि जब हम सोते हैं तो हमारी सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मी जागते हैं . कोरोनावायरस के लॉक-डाउन के दौरान पुलिसकर्मियों की बहुत बड़ी सेवा . उनके ड्यूटी के दौरान दुकानें बंद होने की वजह से चाय तक नहीं मिल पाती है इसलिए इस सेवा को आरंभ किया.
कर्म ही पूजा है और सेवा ही धर्म है, जीव सेवा में हाथ बटाइए: रामानुज सिंह
गाजियाबाद( उत्तर प्रदेश)
जिसका गाजियाबाद शहर प्रदेश का एक प्रमुख व्यवसायिक शहर है.इस शहर में पिछले साल भर से जीव जंतु कल्याण तथा अन्य सामाजिक गतिविधियों में चहलकदमी बढ़ी है. इस शहर में विश्व हिंदू महासंघ प्रदेश कार्य समिति के युवा सदस्य रामानुज सिंह रहते हैं जो अपने नए-नए सेवा कार्यक्रमों को लेकर के खूब जाने जाते हैं. कोरोनावायरस के द्वारा लॉक-डाउन की स्थिति में इनकी सेवाएं आजकल एक चर्चा का विषय बन गई है. बताया जाता है कि सवेरे उठते ही रात -दिन की ड्यूटी कर रहे पुलिसजन , सड़क के किनारे बेघर गरीब और बेसहारा जनमानस को अपनी शक्ति के अनुसार चाय देने के लिए रोज निकल पड़ते हैं. दूर से भी कोई इन्हें पहचान लेगा क्योंकि से चाय से कंटेनर वाले झोले से इनकी पहचान बड़े आसानी से हो जाती है. रोजाना जब इनका परिवार सो रहा होता है बिना किसी के जगाए स्वयं चाय बनाना और उसे कंटेनर में रखकर ताजी चाय पिलाने हेतु निकल निकल जाना इनकी आदत बन गई है. इस सेवा में सबसे पहले पुलिस वाले , फिर रास्ते में जो भी गरीब और नि:सहाय मिला उसे चाय देते गए साथ बिस्किट भी. दरअसल, चाय देने की इनकी दिनचर्या देश में लॉक-डाउन शुरू होने के दिन से ही चल रही हैं. उन्होंने ठान लिया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस की सेवा में यथासंभव चाय की सेवा को लेकर हाजिर होते रहेंगे. रामानुज सिंह जहां कई राष्ट्रीय एवं स्थानीय सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं वहीं पर वह भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानद जिला जीव जंतु कल्याण अधिकारी भी है . बड़ी रोचक बातें हैं है कि इनके दिनचर्या में सिर्फ मानव सेवा का झलक ही नहीं दिखाई देता बल्कि जीव जंतु सेवा का भी कार्य भली प्रकार कर रहे हैं. इनकी सेवाएं प्रातः एवं सायं कालीन सेवा दोनों पहर चलती है . इसीलिए एक धर्म मानकर पशु पक्षियों को दाना -पानी डालने में भी पीछे नहीं है . इनका मानना है कि दिनभर की दिनचर्या में से एक छोटी सी भूमिका है जिसे हर किसी को निभाना चाहिए . इसमें बहुत समय नहीं लगता है और थोड़े से समय का प्रयोग कर देश सेवा में लगे लोगों से लेकर गरीबों तक बड़े ही सरलता पूर्वक पहुंचा जा सकता है . इस तरह के कार्य कोई भारी भरकम खर्च भी नहीं होते . इसे परिवार द्वारा रोजाना गाय को रोटी देने और चिड़िया को दाना डालने के बराबर खर्च आता है जिसे बच्चों के संहयोग से उनके गुल्लक के पैसे और धर्मपत्नी के द्वारा हर महीने घर खर्च से बचाए पैसे से आराम से किया जा सकता है . रामानुज का कहना है कि जब हम सोते हैं तो हमारी सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मी जागते हैं . कोरोनावायरस के लॉक-डाउन के दौरान पुलिसकर्मियों की बहुत बड़ी सेवा . उनके ड्यूटी के दौरान दुकानें बंद होने की वजह से चाय तक नहीं मिल पाती है इसलिए इस सेवा को आरंभ किया. उन्होंने बताया कि यह कार्य कोई उदाहरण बनने वाला कार्य नहीं है . एक छोटी सी जनसेवा है जो पूरे देश में मानवतावादी द्वारा बड़े तेजी से चल रही है . इसे आज समझने, सोचने और उनको उत्साहित या सम्मानित करने की जरूरत है . यही कारण है कि मैं हर रोज सवेरे जग करके चाय बनाता हूं और तीन से चार किलोमीटर तक की दूरी तय कर ड्यूटी कर रहे थके और भूखे प्यासे पुलिसकर्मी को चाय देने से नहीं चूकता .उन्होंने बताया कि यह कार्य ईश्वर की अनुकंपा से निरंतर जारी है. यह कोई अनोखा कार्य नहीं है और नही नया .यह कार्य हर मानवतावादी व्यक्ति को करना चाहिए क्योंकि सेवा या पुण्य का काम का अवसर कभी-कभी मिलता है . इस सिलसिले में वह बताते हैं कि बिना खर्च का तमाम कार्य कोई भी कर सकता है जैसे पशु- पक्षियों को पानी पिलाना , चिड़ियों को दाना डालना, घर में बचे हुए भोजन तथा अपनी क्षमता के अनुसार खाना पका कर सभी जीव जंतुओं को देना ई मुश्किल काम नहीं है . इस कार्य में युवा, वरिष्ठ जन , स्कूली बच्चे, महिलाएं एवं अन्य कोई भी जो घर में लॉक-डाउन के दौरान बैठा हुआ है, उसे इस सेवा कार्य में जरूर शरीक होना चाहिए .
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