करोना वायरस से निपटने के लिए एक सफल प्रयोग किया राजस्थान के डॉक्टर ने.
जयपुर (राजस्थान )
करोना वायरस से निपटने के लिए एक सफल प्रयोग किया राजस्थान के डॉक्टर ने. देश में मौजूद सामान्य दवाओं के एक कॉन्बिनेशन के माध्यम से कोरोना वायरस के रोग से मुक्त करने का अपना अनुभव शेयर किया जो एक अत्यंत सुखद बात है और इसका संदेश सभी तक जाना चाहिए..
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राजस्थान की राजधानी जयपुर का सवाई मानसिंह अस्पताल (एसएमएस) कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों के इलाज को लेकर चर्चा में है.दरअसल इस अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव तीन मरीज़ों को रेट्रोवायरल ड्रग के ज़रिए ठीक किया गया है.इनमें से दो इटली से जयपुर आए हैं और एक जयपुर का ही रहने वाला है.जयपुर के निवासी जिनमें कोरोना संक्रमण पाया गया, उनकी उम्र 85 साल बताई जा रही है. अस्पताल का दावा है कि इलाज के बाद इन मरीज़ों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है. लेकिन इन्हें फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में आइसोलेशन में ही रखा जाएगा.
कोरोना संक्रमित 69 साल का इतालवी नागरिक और उसकी पत्नी दोनों ठीक होने लगे हैं. वे पहले से बेहतर हैं. डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने मरीज़ों पर स्वाइन फ्लू और मलेरिया में इस्तेमाल होने वाले एंटी वायरल ड्रग्स के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया. दो साल पहले स्वाइन फ्लू के इलाज का उनका अनुभव इस मामले में काम आया. डॉक्टरों ने अपने अनुभव आईसीएमआर से शेयर भी किए. हालांकि इससे यह नतीजा निकालना जल्दबाज़ी होगी कि ये कोरोना के इलाज का वैज्ञानिक तरीक़ा है. अभी कुछ और मरीज़ों पर इस तरह की दवाइयों का प्रयोग करने की ज़रूरत है. इस पर काफ़ी शोध की अभी ज़रूरत है.
दरअसल ,कोरोना वायरस बिलकुल नई बीमारी है. कोरोना वायरस और एचआईवी वायरस का एक जैसा मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर होने के कारण मरीज़ों को ये एंटी ड्रग दिए गए हैं. एचआईवी एंटी ड्रग लोपिनाविर और रिटोनाविर एंटी ड्रग देने का फ़ैसला वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम ने लिया. इसे रेट्रोवायरल ड्रग भी कहा जाता है.इस टीम में शामिल डॉक्टर सुधीर के मुताबिक़, "सार्स के मरीज़ों में भी इस ड्रग का इस्तेमाल पहले किया जा चुका है. कोरोना वायरस भी एक वायरस से फैलने वाली बीमारी है. कोरोना का वायरस इसी परिवार का वायरस है जो म्यूटेशन से बना है." इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इसके लिए बाक़ायदा गाइडलाइन जारी कर कहा है कि किन मरीज़ों पर इस ड्रग का इस्तेमाल किया जा सकता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस विषाणु से संक्रमित पाए गए सात व्यक्तियों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है. उनमें पांच उत्तर प्रदेश और एक-एक राजस्थान एवं दिल्ली के मरीजे थे. स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष सचिव संजीव कुमार ने कहा कि ‘‘भारत में कोरोना वायरस के सत्यापित मामलों की संख्या बढ़कर 84 हो गई है.'' सरकार कोरोना वायरस की पृष्ठभूमि में मास्क और हैंड सैनेटाइजर जैसी चीजों की कमी और कालाबाजारी के मद्देनजर शुक्रवार को एन 95 समेत मास्कों एवं हैंड सैनेटाइजरों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जरूरी वस्तुएं घोषित कर चुकी है. ये चीजें जून आखिर तक जरूरी वस्तुओं की श्रेणी में होंगी. इस कदम का लक्ष्य उचित दाम पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा जमाखारों एवं कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई करना है.
मीडिया सूत्रों के अनुसार सवाई मानसिंह अस्पताल मेंआईसीएमआर गाइडलाइन के तहत इस ड्रग का इस्तेमाल किया गया है. डॉ मीणा के मुताबिक़ गाइडलाइन में साफ़ कहा गया है कि 'कॉमप्रोमाइज्ड'मरीज़ों में ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.'कॉमप्रोमाइज्ड' मरीज़ कौन होते हैं? इसकी परिभाषा बताते हुए डॉ. मीणा ने कहा, "ऐसे मरीज़ जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है और साथ में उन्हें डायबटीज़ हो, दिल की बीमारी हो. उन्हीं में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. कम उम्र वाले लोग जिन्हें बाक़ी किसी दूसरे तरह की परेशानी नहीं होती उन पर इस ड्रग का इस्तेमाल फ़िलहाल नहीं किया जा रहा है.राजस्थान में कोरोना के चार मरीज़ों में तीन इसी तरह के 'कॉमप्रोमाइज्ड' मरीज़ हैं.कोरोना वायरस पॉजिटिव से नेगेटिव हुए मरीज़ों के लिए डॉक्टरों की विशेष टीम का गठन किया गया है. इनकी निगरानी में ही आगे का इलाज जारी रखा गया है.नए ड्रग के इस्तेमाल के बाद इटली निवासी महिला और जयपुर निवासी बुजुर्ग हालांकि कोरोना से तो नेगेटिव हैं. लेकिन लंग्स, डायबटीज़, हायपरटेंशन की दिक्कत उनमें अभी भी है.
राजस्थान का चौथा मरीज़ कम उम्र का है, इसलिए शुरुआत में उन पर इस ड्रग का इस्तेमाल नहीं किया गया था. बीबीसी से बातचीत में डॉ. मीणा ने बताया कि मंगलवार से उस मरीज़ को भी ये रेट्रोवायरल ड्रग दिया गया है. आईसीएमआर की गाइडलाइन और डॉक्टरों की विशेष टीम की सलाह पर ही ये फ़ैसला किया गया. अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान रोहित कुमार सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है. रोहित का कहना है कि एंटी वायरल ड्रग को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. इन एंटी ड्रग के इस्तेमाल करने से पहले एक पूरी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है.
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