गुजरात सरकार भी उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार की तरह प्रतिदिन प्रति पशु 50 रुपए की सब्सिडी दे: गिरीश जयंतीलाल शाह
अहमदाबाद (गुजरात)
भारत सरकार के अधीन संचालित एनिमल वेलफेयर बोर्ड आफ इंडिया के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय जीव दया संस्था "समस्त महाजन" के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीशजयंतीलाल शाह के नेतृत्व में बोर्ड के प्रतिनिधि मित्तल खेतानी सहित गुजरात के लोकप्रिय एवं कर्मयोगी पशु प्रेमी राजेंद्र शाह, रमेशभाई ठक्कर, राजूभाई शाह, हरीशभाई शाह,चीनूभाई शाह, जयंतीभाई दोशी, भावेशभाई सोलंकी,अभय शाह का आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी के साथ मुलाकात की जहां जीव दया और पशु कल्याण के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की और अपनी मांग रखते हुए ज्ञापन पत्र सौंपा।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संस्था समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि देशभर के कई स्थानों से जिंदा जिंदा भेड़ बकरियों का एक्सपोर्ट किया जाता है जिसमें पशु कल्याण के मर्यादाओं का प्रतिपालन नहीं किया जाता और एक्सपोर्ट किए जाने वाले पशुओं के ऊपर तमाम तरह के अत्याचार होते हैं जो कानूनन अनुचित है। ऐसे प्रक्रियाओं को रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। शाह ने अपने अनुरोध पत्र में गुजरात में होने वाले जिंदा भेड़ बकरियों के एक्सपोर्ट को तत्काल असर से बंद किए जाने का ज्ञापन सौंपा और कहा कि भारत का मांस निर्यात वर्ष 2016-17 में बढ़कर 13.53 लाख टन हो गया जो पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में 13.36 लाख टन था। इस प्रकार वर्ष 2016-17 में मांस निर्यात 17 हज़ार टन बढ़ गया है।हालांकि, यह आंकड़ा इन्हीं वित्तीय वर्षों में कम होता गया और इसमें करीब 11 फीसदी की गिरावट तक देखी गई. इस दौरान निर्यात 13,14,161 मीट्रिक टन तक गिर गया था। वहीं पर देश में दूर की खपत के अनुसार उत्पादन पर्याप्त नहीं है। पशु हत्या एवं मांसाहार के वजह से भारतीय रहन-सहन प्रभावित हो रही है जिसका सीधा असर लोगों के साथ और सोच पर पढ़ रहा है। लाइव एनिमल एक्सपोर्ट के दौरान पशुओं पर अनेक प्रकार के अत्याचार होते हैं जो कानून सही नहीं है। यातायात के दौरान पशु की हालत एक निर्जीव वस्तु जैसी हो जाती है।
उन्होंने आगे बताया कि गुजरात की गौशाला पांजरापोलो में चार लाख से अधिक बेसहारा -अबोल जीवों की सुचारू सुंदर व्यवस्था होती है। भाई बहन वाला जिगरा पशु मेरे यार कक्कड़ 2018 का दो चित्रकूट दर्शनगुजरात में व्यापक पशुपालन और दूग्ध उत्पादन होने से नर पशु और दूध न देने वाली गाय-भैंस पांजरापोलो के आश्रय में अपना जीवन गुजारती है। दूग्ध व्यावसायक और डेयरी उद्योग के संचालक अपने तेरी व्यवसाय से अच्छा मुनाफा करते हैं जबकि गुजरात की सभी पांजरापोल के संचालकों का रोजाना खर्च रु. 3 करोड़ से अधिक है। आज हालात यह है कि दान के घटते अनुदान से सारे संचालक चिंतित हैं और निराश्रित पशुओं की देखभाल में तमाम अड़चनें आ रही हैं जो एक बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है।
शाह ने राज्यपाल को अवगत कराया कि गुजरात राज्य में रोजाना इन पांजरापोलो से करीब 40 लाख किलो गोबर उत्पाद होता है जो किसानों को प्राकृतिक खेती अत्यंत मददगार है। उन्होंने राज्यपाल से यह विनंती की है कि उत्तर प्रदेश सरकार और राजस्थान सरकार की तरह प्रतिदिन प्रति पशु रु 50 की सब्सिडी गुजरात सरकार भी दे ताकि वारिस और छुट्टा भटक रहे मवेशियों को शरण प्रदान कर पर रोजाना ट्रैफिक एक्सीडेंट से बचाया जा सके और पशु क्रूरता से निजात पाते हुए शहर साफ सुथरा भी रहे। इससे सभी पशुओंको पांजरापोल में सहारा मिल जाने से पूरा गुजरात प्राकृतिक खेती की ओर आगे बढ़ेगा।
इसी क्रम में चाहने यह भी मांग किया कि गुजरात को भी सिक्किम की तर्ज पर सुजलाम सुफलाम "ऑर्गेनिक गुजरात" बनाने के लिए केमिकल फ़र्टिलाइज़र और केमिकल पेस्टिसाइड की सब्सिडी तत्काल किया जाना चाहिए।
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